Everything about Shiv chaisa

हे गिरिजा पुत्र भगवान श्री गणेश आपकी जय हो। आप मंगलकारी हैं, विद्वता के दाता हैं, अयोध्यादास की प्रार्थना है प्रभु कि आप ऐसा वरदान दें जिससे सारे भय समाप्त हो जांए।

योगी यति मुनि ध्यान लगावैं। शारद नारद शीश नवावैं॥

दुष्ट सकल नित मोहि सतावै। भ्रमत रहौं मोहि चैन न आवै॥

त्रिपुरासुर सन युद्ध मचाई। सबहिं कृपा कर लीन बचाई॥

शंकर हो संकट के नाशन। मंगल कारण विघ्न विनाशन॥

किया उपद्रव तारक भारी। देवन सब मिलि तुमहिं जुहारी॥

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लै त्रिशूल शत्रुन को मारो। संकट से मोहि आन उबारो॥

Glory to Girija’s shiv chalisa in hindi consort Shiva, that's compassionate for the destitute, who normally safeguards the saintly, the moon on whose forehead sheds its attractive lustre, and in whose ears are classified as the pendants in the cobra hood.

मातु पिता भ्राता सब कोई। संकट में पूछत नहिं कोई॥

भक्त अपने जीवन में पैदा हुई कठिनाइयों और बाधाओं को दूर करने के लिए श्री शिव चालीसा का नियमित पाठ करते हैं। श्री शिव चालीसा के पाठ से आप अपने दुखों को दूर कर भगवान शिव की असीम कृपा प्राप्त कर सकते हैं। शिव चालीसा का पाठ हमेशा सुबह जल्दी उठकर स्नान करने के बाद करना चाहिए। भक्त प्रायः सोमवार, शिवरात्रि, प्रदोष व्रत, त्रयोदशी व्रत एवं सावन के पवित्र महीने के दौरान शिव चालीस का पाठ खूब करते हैं।

कहे अयोध्या आस तुम्हारी। जानि सकल दुःख हरहु हमारी॥

कर त्रिशूल सोहत छवि भारी। करत सदा शत्रुन क्षयकारी॥

दिल्ली की Shiv chaisa मुख्यमंत्री आतिशी ने प्राचीन हनुमान मंदिर में पूजा किया

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